श्रीशुक्ल यजुर्वेदीय शतपथ ब्राह्मण
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Format: | Book |
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दिल्ली :
गोविंदराम हसानन्द,
1988
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MARC
LEADER | 00000nam a22000007a 4500 | ||
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003 | FRI | ||
999 | |c 34413 |d 34413 | ||
082 | |a H 294.5921 |2 21st ed |b SHA | ||
100 | |a स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती (संपादक) | ||
245 | |a श्रीशुक्ल यजुर्वेदीय शतपथ ब्राह्मण | ||
260 | |a दिल्ली : |b गोविंदराम हसानन्द, |c 1988 | ||
300 | |a 691p. | ||
365 | |b Rs.1800.00 | ||
500 | |a समस्त ब्राह्मण-ग्रन्थों के मध्य शतपथ ब्राह्मण सर्वाधिक बृहत्काय है। शुक्लयजुर्वेद की दोनों शाखाओं-माध्यान्दिन तथा काण्व में यह उपलब्ध है। यह तैत्तिरीय ब्राह्मण के ही सदृश स्वराङिकत है।[1] अनेक विद्वानों के विचार से यह तथ्य इसकी प्राचीनता का द्योतक है। | ||
650 | |a Religion-India | ||
650 | |a Vedic religion | ||
653 | |a धर्म-भारत | ||
653 | |a वैदिक धर्म | ||
653 | |a भाष्य | ||
700 | |a उपाध्याय, गंगाप्रसाद |e अनुवाद | ||
942 | |2 ddc |c HB |