गोरा
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Format: | Book |
Published: |
नई दिल्ली :
साहित्य अकादमी ,
2005
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MARC
LEADER | 00000nam a22000007a 4500 | ||
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003 | FRI | ||
999 | |c 34401 |d 34401 | ||
020 | |a 8172016271 | ||
082 | |2 21st |a H 891.433 |b THA/G | ||
100 | |a ठाकुर, रवीन्द्रनाथ | ||
245 | |a गोरा |c रवीन्द्रनाथ ठाकुर | ||
260 | |a नई दिल्ली : |b साहित्य अकादमी , |c 2005 | ||
300 | |a 455p. | ||
365 | |b Rs.100.00 | ||
500 | |a इस उपन्यास, ‘गोरा’ में एक आकर्षक प्रेम कथा के माध्यम से नई-पुरानी विचारधाराओं के संघर्ष को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस तरह प्रस्तुत किया है कि समीक्षकों को इसे भारतीय साहित्य का गौरव ग्रंथ कहना पड़ा। | ||
653 | |a साहित्य | ||
653 | |a हिन्दी साहित्य | ||
653 | |a हिन्दी साहित्य-उपन्यास | ||
653 | |a उपन्यास | ||
700 | |a सच्चिदानंद वात्स्यायन, |e अनुवादक | ||
942 | |2 ddc |c HB |0 10 |