बिल्लेसुर बकरिहा

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Bibliographic Details
Main Author: त्रिपाठी, सूर्यकांत निराला
Format: Book
Language:English
Published: नई दिल्ली राजकमल प्रकाशन 1996
Edition:7th ed.
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MARC

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100 |a त्रिपाठी, सूर्यकांत निराला  
245 |a बिल्लेसुर बकरिहा   |c by सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला  
246 |a Billesur bakariha  |b by Suryakant Tripathi Nirala 
250 |a 7th ed.  
260 |a नई दिल्ली   |b राजकमल प्रकाशन   |c 1996 
300 |a 70p.  
365 |b Rs.40.00 
500 |a बिल्लेसुर बकरिहा भारत के महान कवि एवं रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का एक व्यंग उपन्यास है। निराला के शब्दों में ‘हास्य लिये एक स्केच’ कहा गया यह उपन्यास अपनी यथार्थवादी विषयवस्तु और प्रगतिशील जीवनदृष्टि के लिए बहुचर्चित है। बिल्लेसुर एक गरीब ब्राह्मण है, लेकिन ब्राह्मणों के रूढ़िवाद से पूरी तरह मुक्त। गरीबी के उबार के लिए वह शहर जाता है और लौटने पर बकरियाँ पाल लेता है। इसके लिए वह बिरादरी की रूष्टता और प्रायश्चित के लिए डाले जा रहे दबाव की परवाह नहीं करता। अपने दम पर शादी भी कर लेता है। वह जानता है कि जात-पाँत इस समाज में महज एक ढकोसला है जो आर्थिक वैषम्य के चलते चल रहा है। यही कारण है कि पैसेवाला होते ही बिल्लेसुर का जाति-बहिष्कार समाप्त हो जाता है। संक्षेप में यह उपन्यास आर्थिक सम्बन्धों में सामन्ती जड़वाद की धूर्तता, पराजय और बेबसी की कहानी है। 
650 |a Literature  
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650 |a Hindi literature-Novel  
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