बालशौरि रेड्डी
डॉ॰ बालशौरि रेड्डी हिन्दी और तेलुगू के यशस्वी साहित्यकार, 'चंदामामा' के पूर्व सम्पादक, प्रसिद्ध बालसाहित्य सर्जक, अनन्य हिन्दी साहित्य साधक हैं। बालशौरि रेड्डी की मातृभाषा तेलुगु है लेकिन उनका जीवन हिंदी लेखन के प्रति समर्पित रहा. बालशौरि ने 13 उपन्यासों की रचना की है। 'शबरी', 'जिंदगी की राह', '[https://www.drmullaadamali.com/2024/05/metropolitan-awareness-in-balashauri-reddy-novel-yeh-basti-ye-log-hindi.html यहबस्ती] : ये लोग', 'भग्न सीमाएँ', 'बैरिस्टर', 'प्रकाश और परछाई', 'स्वप्न और सत्य', 'धरती मेरी माँ', 'लकुमा', 'प्रोफेसर', 'वीरकेसरी', 'दावानल' और 'कालचक्र'।डॉ. बालशौरि रेड्डी हिंदी के एक सिद्धहस्त कहानीकार भी हैं। उनका कहानी संग्रह है 'बैसाखी'। इस में कुछ सत्रह कहानियाँ संकलित हैं। वे हैं- 'बैसाखी', 'शान्ति के पथ पर', 'पापीचिरायु', 'भूख हड़ताल', 'अज्ञान की ओर', 'ज्ञानोदय', 'अतृप्त कामना', 'टूटती सीमाएँ', 'अनुत्तरित प्रश्न', 'बी इण्डियन-बाई इण्डिन', 'प्रकाश की ओर', 'चाँदी का जूता', 'दिल का काँटा', 'पछतावा', 'स्वप्न और सत्य', 'जब आँखे खुली', और 'घर और गृहस्थी'।
बालशौरि रेड्डी जी का बाल साहित्य :
1. तेलुगू की लोक कथाएँ 2. आंध्र के महापुरुष, 3. सत्य की खोज, 4. तेनालीराम के लतीफे, 5. बुद्ध से बुद्धिमान, 6. न्याय की कहानियाँ, 7. आदर्श जीवनियाँ, 8. अमुक्तमाल्यद, 9. दक्षिण की लोक-कथाएँ, 10. तेनालीराम की कहानियाँ। विकिपीडिया द्वारा प्रदान किया गया