शिवगोपाल मिश्र
}} डॉ० शिवगोपाल मिश्र (जन्म 13 सितम्बर 1931) एक शिक्षाविद, कृषि वैज्ञानिक एवं महान हिन्दी सेवी हैं। वे हिन्दी विज्ञान लेखन के क्षेत्र में अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। 1952 से लेकर आज तक पिछले सत्तर से अधिक वर्षों से वे निरन्तर हिन्दी में विज्ञान लेखन करते चले आ रहे हैं और अभी भी कर रहे हैं। उन्होंने विज्ञान लेखकों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है और प्रेरणा प्रदान की है। वे भारत के अनेक विभागों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य रह चुके हैं। वे शब्दावली आयोग द्वारा प्रकाशित "विज्ञान गरिमा सिंधु" पत्रिका के परामर्शदाता भी रहे हैं।प्रो. शिवगोपाल मिश्र का जन्म 13 सितम्बर 1931 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की खागा तहसील के नरौली नामक गांव में हुआ था। आपके पिता बद्री विशाल मिश्र और माता पार्वती देवी थीं। छः भाइयों में आप पांचवें भाई थे। आरंभिक शिक्षा गांव तथा किशुनपुर में प्राप्त कर आपने फतेहपुर से हाई स्कूल की परीक्षा 1946 में पास की और उच्च शिक्षा के लिये अपने बड़े भाई के साथ प्रयागराज आ गये। आपने के. पी. इण्टर कॉलेज से 1948 में इण्टर तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1950 में बी.एससी. और 1952 में मृदा विज्ञान में एम.एससी. की उपाधियां प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।
1955 में आपने 'फॉर्मेशन ऑफ एसिडिक एण्ड एलकली सॉयल्स (formation of Acidic and Alkali Soils ) विषय पर अपना शोधकार्य पूर्ण किया और डी फिल की उपाधि प्राप्त की। आपने हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 'साहित्य रत्न' की उपाधि भी प्राप्त की। 1956 में आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायन विभाग में प्रवक्ता नियुक्त हुए और क्रमशः रीडर, प्रोफेसर तथा शीलाधर मृदा विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक का दायित्व संभालते हुए 1992 में 36 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए।
आपकी गणना देश के श्रेष्ठ मृदाविज्ञानियों में की जाती है। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में आपके दो सौ से अधिक मृदा विज्ञान संबंधी शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। आपके कुशल निर्देशन में 42 शिष्यों ने डी.फिल तथा 3 शिष्यों ने डी.एससी. की उपाधियां प्राप्त की हैं और वे देश-विदेश में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। आप नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंस, इंडिया के फैलो भी हैं। आपने सी.एस.आई.आर., नई दिल्ली के प्रकाशन एवं सूचना निदेशालय (अब राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान) में वर्ष 1971-72 के दौरान विशेष कार्य अधिकारी ओ.एस.डी. के रूप में कार्य किया। वहां आपने द ‘वेल्थ ऑफ इण्डिया’ नामक वैज्ञानिक विश्वकोश के हिन्दी अनुवाद, संपादन एवं संयोजन का कार्य अत्यंत कुशलतापूर्वक किया जिसके फलस्वरूप भारत की सम्पदा - प्राकृतिक पदार्थ के प्रथम खण्ड का प्रकाशन हुआ जिसका लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया।
जब आप बी.एससी. के छात्र थे तभी से आपके विज्ञान लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगे थे। 1956 में आप विज्ञान परिषद से जुड़े और विज्ञान पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य बने। 1958 में जब विज्ञान परिषद् प्रयाग द्वारा देश की प्रथम हिन्दी शोध पत्रिका विज्ञान परिषद् अनुसंधान पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया गया तो उसके संपादक डा० सत्यप्रकाश जी ने डा० शिवगोपाल मिश्र को इस पत्रिका का प्रबंध संपादक नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक लगभग ६५ वर्षों से आप इस दायित्व का अत्यंत कुशलता एवं निष्ठा के साथ निर्वहन कर रहे हैं। 1959 में आप विज्ञान पत्रिका के संपादक बनाए गये और आपने 1971 तक, बारह वर्षों तक इसका संपादन किया।
1977 में आपने विज्ञान परिषद् के प्रधानमंत्री का पद संभाला और 1987 तक आपने विज्ञान परिषद् की गतिविधियों का संचालन किया। 1996 में आप एक बार पुनः विज्ञान परिषद् के प्रधानमंत्री बनाए गये और पिछले वर्षों में आपके नेतृत्व में विज्ञान परिषद् ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। वर्ष 2000 से आप 'विज्ञान पत्रिका के संपादन का कार्य भी निरंतर संभाले हुए हैं। विकिपीडिया द्वारा प्रदान किया गया