आशापूर्णा देवी

आशापूर्णा देवी आशापूर्णा देवी (बांग्ला: আশাপূর্ণা দেবী, ८ जनवरी १९०९ - १३ जुलाई १९९५) भारत से बांग्ला भाषा की कवयित्री और उपन्यासकार थीं, जिन्होंने १३ वर्ष की अवस्था से लेखन प्रारम्भ किया और आजीवन साहित्य रचना से जुड़ीं रहीं। गृहस्थ जीवन के सारे दायित्व को निभाते हुए उन्होंने लगभग दो सौ कृतियाँ लिखीं, जिनमें से अनेक कृतियों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनके सृजन में नारी जीवन के विभिन्न पक्ष, पारिवारिक जीवन की समस्यायें, समाज की कुंठा और लिप्सा अत्यंत पैनेपन के साथ उजागर हुई हैं। उनकी कृतियों में नारी का वयक्ति-स्वातन्त्र्य और उसकी महिमा नई दीप्ति के साथ मुखरित हुई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं स्वर्णलता, प्रथम प्रतिश्रुति, प्रेम और प्रयोजन, बकुलकथा, गाछे पाता नील, जल, आगुन आदि। उन्हें १९७६ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वे पहली महिला हैं।|group=ट}} विकिपीडिया द्वारा प्रदान किया गया
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    अविनश्वर द्वारा देवी, आशापूर्णा

    प्रकाशित 2001
    पुस्तक
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    ये जीवन हैं द्वारा देवी, आशापूर्णा

    प्रकाशित 2004
    पुस्तक